📚 24 घंटे में जिंदगी बदले book summary in hindi
24 घंटे में बदलें जिंदगी book summary in hindi मेंएक - एक घंटे के 24 कालखंडों में बदले जिंदगी |
दोस्तो नमस्कार आज हम आप के लिए लेकर आए है जिम हार्टनेस और नील एस्केलिन की लिखी 📚 बुक 24 घंटे में बदले जिंदगी इस बुक में आप एक - एक घंटे के कालखंडों में अपने जीवन में परिवर्तन ला सकते हैं।
1. पहला घंटा - आप का सबसे बड़ा निर्णय
2. दूसरा घंटा - अपना मूल्य दोबारा तय करें
3. तीसरा घंटा - रूपांतरित विचार - जीवन
4. चौथा घंटा - आप के लक्ष्यों पर एक नई दृष्टि
5. पांचवा घंटा - ऊंची अपेक्षाएं
6. छठवां घंटा - नजरिए का बड़ा परिवर्तन
7. सातवां घंटा - अपनी नई टीम चुनें
8. आठवां घंटा - बिना टूटे झुकना
9. नवा घंटा - हानिकारक डर को अलविदा कहें
10. दसवां घंटा - छोड़कर जितना
11. ग्यारहवां घंटा - अपनी भावनाओं पर काबू रखें
12. बारहवां घंटा - अपने डाटा बैंक में क्रांति लाएं
13. तेरहवां घंटा - अपने दिन को दोबारा व्यवस्थित करें
14. चौदहवा घंटा - अपने धन को अधिकतम करना
15. पंद्रहवां घंटा - आपके शरीर का नया जन्म
16. सोलहवां घंटा - विजेता का भाव
17. सत्रहवां घंटा - उत्कृष्टता की खोज
18. अठारहवां घंटा - बिल्कुल नया ह्रदय
19. उनीसवां घंटा - मालिक से सेवक तक
20. बीसवां घंटा - हँसी की जीवनशैली
21. इक्कीसवां घंटा - उत्साह के साथ तरक्की करे
22. बाईसवां घंटा - दैनिक नवीनीकरण की कुंजी
23. तेईसवां घंटा - लगन की शक्ति
24. चौबीसवां घंटा - अपने नए व्यक्तित्व का जस्न मनाए
📚 24 घंटे में जिंदगी बदले
1. पहला घंटा - आप का सबसे बड़ा निर्णय
क्या महज 24 घंटों में सकारात्मक और स्थायी परिवर्तन संभव है ? क्या एक ही दिन में जीवन बदलना संभव है ?
यह न सिर्फ संभव है , बल्कि मुमकिन भी है।
यह पुस्तक एक बहुत ही सरल अवधारणा पर केंद्रित है। हमारा मानना है कि जीवन में होने वाले बड़े परिवर्तन चंद पलों में लिए गए छोटे छोटे निर्णय का ही परिणाम है।
कायाकल्प की यह प्रक्रिया कब शुरू होगी ? जिस पल आप बदलने का फैसला करेंगे । हर परिवर्तन उस घंटे में होगा , जब आप किसी चुनौती का सामना कर रहे होंगे ।
आइए देखते हैं कि इससे आपको क्या मिलेगा । कई क्षेत्रों में जब आप संकल्प लेंगे और समर्पित हो जाएंगे । तो आप को ऐसी अविश्वसनीय शक्ति मिलेगी , जिसे आप ने कभी सपने में भी संभव नहीं माना होगा ।
यह सारी प्रक्रिया कहा से शुरू होती है ?
किसी भी मनोवैज्ञानिक , परामर्सकर्ता से पूछ लें जवाब एक ही मिलेगा : परिवर्तन के निर्णय के बिना कुछ भी नहीं होता है।
कहां परिवर्तन करें ?
कुछ भी स्थायी नही है । आप का व्यक्तित्व, आपकी भावनाएं, और आपकी अनुभूतियां सभी सतत परिवर्तन की प्रक्रिया में है । अपनी परिस्थितियों को बदलने पर हमें अक्सर हैरानी होती है । हम खुद को कैसे बदले , यह फैसला करने के बजाय हम बाहरी परिस्थितियों पर ही प्रतिक्रिया करते रहते हैं।
सुरुवात में परिवर्तन का संकल्प करते समय चार बातें जानना बहुत जरूरी है :
- निर्णय भले ही गलत हो, लेकिन फिर भी निर्णय लेना स्कारात्मक शुरुवात और प्रगति की निशानी है।
- गलत निर्णय सुधारे जा सकते हैं लेकिन "शून्य" निर्णय नहीं।
- मार्गदर्शन सिर्फ गतिमान चीजों को ही मिलता है।
- कोई भी चीज हिलने के निर्णय के बिना हिलती नहीं है ।
कहां से शुरू करें ?
किसी नक्शे को देखते समय आपका पहला सवाल यह होता है, "मैं कहां हूं" किसी मंजिल पर पहुंचने की दिशा में पहला कदम आपकी वर्तमान स्थिति तय करना है।
बाहरी परिस्थितियां सिर्फ हमारे निर्णयों को प्रभावित करती है। अंतिम जिम्मेदारी आंतरिक सक्रियता की होती है । इसी तरह हम सूचना को विचारों में प्रोसेस करते हैं, जिससे यह तय होता है कि हम कौन सा काम करेंगे । ज्ञान विचार से पहले आता है । उसके बारे में हम जो सोचते हैं , उसी से हमारा व्योहार होता है ।
पहली बातें सबसे पहले
बहरहाल , सबसे पहले आपको एक ज्यादा बड़ा निर्णय लेना होगा , जिस पर बाकी सभी परिवर्तन निर्भर हैं । किसी मोड़ पर आपको कहना होगा , "हां, मैं बदलना चाहता हूं । "
जब बदलाव के निर्णय का यह पल आएगा, तो आपको किसी के बताने की जरूरत नहीं होगी । आप खुद-ब-खुद इसे जान जाएंगे । आपको तो "मैं करूंगा " ये शब्द कहने की जरूरत भी नहीं होगी । आप अपने भीतर गहराई में इसकी गूंज महसूस करेंगे । यह शब्द आपके दिल, दिमाग और सिर से पैर तक आपके रोम-रोम को रोमांचित कर देंगे ।
क्या आप इस तरह के परिवर्तन के लिए तैयार हैं ?
फैसला आपका है ।
2. दूसरा घंटा - अपना मूल्य दोबारा तय करें
जब हम अपने मकान , गहनों या किसी अन्य कीमती संपत्ति का मूल्य निर्धारित करवाना चाहते हैं, तो हम किसी प्रोफेशनल की तलाश करते हैं, जो इस बारे में राय दे सके। लेकिन हम अपना मूल्य कैसे तय करें ? किसी इंसान के महत्व की "कीमत" कौन तय करता है।
आम तौर पर लोग अपना प्राइस टाइम खुद लिखते हैं । वह अपना मूल्य बहुत कम आते हैं । ऐसा क्यों ? क्योंकि वह शक्ति के बजाय कमजोरी पर और सफलता के बजाय असफलता पर ध्यान केंद्रित करते हैं । या फिर अपनी तुलना दूसरों से करते हैं।
आत्म - सम्मान बढ़ाने के 10 कदम
- पहला कदम - अपने वास्तविक स्वरुप को पहचाने ,
अपने स्वरूप को पहचानने के लिए "खुद के साथ शांति से रहे " आपके भीतर क्या हो रहा है, इस बारे में आप के पास एक सच्ची और स्पष्ट तस्वीर होना बहुत जरुरी है। आप में खुद के बारे में सोचने और अपने वास्तविक स्वरूप का मूल्यांकन करने की क्षमता मौजूद है।
- दूसरा कदम - अपनी कमजोरियों पर हंसे ,
क्या आप को कोई "आदर्श" या "परिपूर्ण" व्यक्ति मिला है ? हमे तो नही मिला । हर व्यक्ति में दोष होते है - जिसमे आप भी शामिल हैं ।
- तीसरा कदम - अपनी असफलताओं को सही दृष्टिकोण से देखें ,
हम सभी बचपन में असफल हुए है ।चलना सीखते हुए सैकड़ों बार गिरे है । लेकिन हम सावधान न रहे , तो असफलता हमारे जीवन का नकारात्मक पैटर्न में बदल जाएगा।
- चौथा कदम - स्वस्थ प्रेम विकसित करें "खुद" से
क्या आप जानते हैं की खुद से प्रेम करना सही है ?
"अगर कोई व्यक्ति सचमुच मे प्रेम करने में समर्थ है, तो वह खुद से भी प्रेम करता है । अगर वह सिर्फ दूसरों से प्रेम कर सकता है , तो वह प्रेम कर ही नहीं सकता ।"
- पांचवा कदम - किसी ऐसे व्यक्ति को खोजें जिसे आपकी मदद की जरूरत हो ,
अपनी क्षमता के अनुसार उसे लाभ पहुंचाएं । इससे आप को जो संतुष्टि मिलेगी, वह आत्मा सम्मान के कायाकल्प की महत्वपूर्ण घटक साबित होगी ।
- छठा कदम - जानबूझकर अपना व्यवहार बदले,
योजना बद्ध काम करने से आपकी आत्मानुभूति काफी बढ़ सकती हैं ।
- सातवा कदम - किसी रचनात्मक चुनौती का चुनाव करें,
आप कोई रचनात्मक चुनौती स्वीकार कर ,आप ने 70 की उमर में ड्राइबिग सीखने वाले व्यक्ति की कहानी सुनी होगी उस व्यक्ति का आत्म सम्मान बढ़ गया ।
- आठवां कदम - प्रशंसा को सहजता से ले,
अधिक तर लोग अपने द्वारा किए गए अच्छे काम की तारीफ सुनकर धन्यवाद भी नही देते है । आप अपनी प्रशंसा को सहजता से स्वीकार करना सीख सकते है।
- नवा कदम - अपना मूल्य दोबारा तय करें,
- दसवां कदम - बिल्कुल नई तस्वीर देखें
3. तीसरा घंटा - रूपांतरित विचार - जीवन
आपके मस्तिष्क में अद्भुत शक्ति हैं । चिकित्सा विज्ञान ने पता लगाया है की मस्तिष्क एक ऐसा रसायन उत्पन्न करता है , जो दरअसल आपके हृदय फेफड़ों और सभी मानसिक प्रक्रियाओं को एक साथ रोक सकता है । और यह आपके विचारों द्वारा नियंत्रित होता है । अक्सर हम सुनते हैं कि अपने जीवन साथी की मृत्यु के बारे में पता चलते ही बुजुर्ग व्यक्तियों की मौत हो जाती है - कभी कुछ दिनों के भीतर और कई बार तो कुछ घंटों के भीतर ही ।" मृत्यु की इच्छा" की शक्ति हमारी समझ से परे है ।
चिकित्सा शोध का इतिहास गवाह है कि मानसिक स्वास्थ्य और शारीरिक स्वास्थ्य में सीधा संबंध होता है।
अपनी "आत्म - चर्चा" की जांच - पड़ताल करें
लोगों का व्यवहार लगभग हमेशा ही अनुभूत से तय होता है । वह किसके बारे में सोचते हैं ? वह किसके बारे में बातें करते हैं? शोध से पता चला है कि अपने बारे में आम व्यक्ति कि ज्यादातर बातचीत नकारात्मक होती है । चूंकि हर चीज अपने ही समान फल देती है , इसलिए इन लोगों के बारे में भविष्यवाणी करने के लिए आपको भविष्यवक्ता होने की जरूरत नहीं है ।
बाहरहाल यह जानना महत्वपूर्ण है कि भावनाएं सच नहीं होती हैं । वे तो बस हमारे सोचने के तरीके का आईना होती है।
तो फिर हमारे विचारों के केंद्र में क्या होना चाहिए ?
जो भी सच है ,जो भी उदात्त है, जो भी न्याय पूर्ण है ,जो भी पवित्र है , जो भी सुंदर है, जो भी अच्छी है ,अगर कोई सद्गुण है और कोई प्रशंसनीय चीज है, तो उन सभी पर चिंतन - मनन करें ।
मानसिक कर्म का नियम
"जैसा इंसान अपने दिल में सोचता है ,वैसा ही वह होता है "
विचारों को सकारात्मक क्रियाओं में रूपांतरित करने के चार कदम है :
जानना, सोचना , कहना और करना ।
एक पुरानी कहावत है "आप जो खाते हैं ,वही बनते हैं ।" यह कहावत आपके मस्तिष्क पर भी लागू होती है। "आप जो सोचते हैं , वही बनते हैं !"
अब समय आ चुका है की आप अपने मस्तिष्क को बेशकीमती खजाना मान लें , जो कि यह सचमुच है । आपके विचारों में जीवन की सबसे मूल्यवान संपत्तियां हैं - सेहत, समृद्धि, करुणा और प्रेम ।
नया दृष्टिकोण
अंदरुनी प्रतिभा को जगाया जा सकता है, बशर्ते आप अपनी राह में आने वाली स्थितियों पर अकस्मात प्रतिक्रिया करने की आदत छोड़ दे ।
इसी वक्त संकल्प करें कि आप हर दिन कुछ समय निकालकर अपनी मानसिक क्षमता को अभ्यास से बढ़ाएंगे और उस पर अमल भी करेंगे ।
4. चौथा घंटा - आपके लक्ष्यों पर एक नई दृष्टि
यह एक जाना - पहचाना तथ्य है कि अगर आप यह नहीं जानते कि आपको जाना कहां है, तो मंजिल पर पहुंच कर भी आप उसे कभी नहीं पहचान पाएंगे । ज्यादातर लोगों का लक्ष्य धुंधला और अस्पष्ट होता है ।
आप की स्थिति कैसी है ? इस सवाल पर आपकी प्रतिक्रिया क्या होगी, "आज से 10 साल बाद के लिए आप की क्या योजनाएं हैं ?"
इस घंटे में आपसे अपनी महत्वाकांक्षाओं और अभिलासाओ पर ध्यान केंद्रित करने को कहा जा रहा है । यहां पर 7 विशिष्ट टारगेट दिए जा रहे हैं ।
पहला टारगेट: मेरा लक्ष्य स्पष्ट हैं
आपको शुरुआत में 127 लक्ष्य निर्धारित करने की जरूरत नहीं है - सिर्फ कुछ लक्ष्य से ही काम चल जाएगा। महत्वपूर्ण तो यह है कि आप जिन टारगेट्स पर निशाना लगाने वाले हैं, वह स्पष्ट हो ।
दूसरा टारगेट : मेरा लक्ष्य संख्यात्मक है
कुछ लोग गलती से लक्ष्य और उद्देश्य को एक ही समझ बैठते हैं । अगर आप कहते हैं, "मैं सुखी बनना चाहता हूं," या "मैं बहुत सा पैसा कमाना चाहता हूं," तो यह पता लगाना मुश्किल होता है कि आप कब सफल हो गए ।
सबसे स्पष्ट लक्ष्य गुणवत्ता से नहीं संख्या से मापे जाते हैं । अपने उद्देश्य तय करते समय खुद से पूछें, "क्या इस लक्ष्य को नापा जा सकता है ?"
तीसरा टारगेट : मेरा लक्ष्य चुनौतीपूर्ण है लेकिन उसे हासिल करना संभव है
आप जो लक्ष्य तय करते हैं , वह मुश्किल तो होने चाहिए, लेकिन असंभव नहीं । हो सकता है कि आप अपने लक्ष्य को 1 घंटे या 1 दिन में हासिल ना कर पाए । हो सकता है कि लक्ष्य हासिल करने में सफल होने से पहले आप असफल हो जाएं । बहरहाल यह ना भूले की असफलताएं आपकी सबसे अच्छी शिक्षक बन सकती हैं ।
चौथा टारगेट : यह किसी और का नहीं मेरा लक्ष्य है
भविष्य का एजेंडा तय करते समय यह सुनिश्चित करें कि आप के उद्देश्य आपने खुद बनाए हो । आपके पिता या बास चाहते हैं या आप किसी चीज में अच्छे हैं , इसका यह मतलब नहीं है कि आप उसी को अपना लक्ष्य बना लें ।
पांचवा टारगेट : मेरे सभी लक्ष्य एक - दूसरे को शक्ति देते हैं
सिर्फ एक ही लक्ष्य का होना बहुत मुश्किल और खतरनाक स्थित है । संतुलित जीवन के लिए हर क्षेत्र में कामयाबी का ब्लूप्रिंट होना चाहिए : व्यक्तिगत, पारिवारिक, आर्थिक, शैक्षिक, शारीरिक और आध्यात्मिक ।
छठवां टारगेट : मेरे लक्ष्य में इसे हासिल करने की योजना शामिल है
बिना नक्शे के मंजिल का कोई अर्थ नहीं है। नक्शा ही आपको सर्वश्रेष्ठ राह दिखाता है। लक्ष्य तय करने के बाद उसे साकार करने की निश्चित योजना बना ले । हो सकता है कि आपका लक्ष्य कभी ना बदले, लेकिन आप की योजना हमेशा लचीली होनी चाहिए ।
सातवां टारगेट : मैं अपना लक्ष्य लिखूंगा
अपने सपनों और इच्छाओं को मूर्त रूप में देखने का सबसे तेज तरीका कागज - कलम उठा कर उन्हें लिख लेना है ।जिस पल आप देख लेते हैं कि आप क्या खोज रहे हैं - भले ही वह कागज के छोटे से टुकड़े पर ही क्यों ना हो - वह चीज भौतिक रूप से प्रकट हो जाती हैं ।
"जब भी मैं अपने जीवन में कुछ हासिल करना चाहता हूं, तो मैं उसे लिख लेता हूं । मैं उस लक्ष्य को हासिल करने की योजना और समय सीमा भी लिख लेता हूं कि मैं उसे कब तक हासिल करूंगा । इस तरह मैं अपने हर लक्ष्य को कर्म में बदल देता हूं ।
लक्ष्य - निर्धारण के सातों टारगेट बेकार हैं जब तक कि आप उन्हें कर्म में ना बदलें ।
5. पांचवा घंटा - ऊंची अपेक्षाएं
क्या आपको यकीन है कि आने वाला कल आज से बेहतर होगा ? इस सवाल का जवाब आप सिर्फ एक शब्द में दे सकते हैं लेकिन वह एक शब्द आपके बारे में बहुत कुछ बता देगा । अगर आप मन ही मन भविष्य से डरते हैं, तो यह डर जल्द ही आपके व्यवहार और व्यक्तित्व के हर पहलू में झलकने लगेगा।
भविष्य से नकारात्मक अपेक्षाएं आप की वर्तमान सेहत, दौलत और खुशी को तबाह कर सकती है ।
देखना और आशा करना
कुछ लोग हाथ में विश्वास का बनावटी मुखौटा बना लेते हैं । लेकिन जब आप भविष्य के बारे में सोचना शुरू करते हैं, तो आप का वास्तविक स्वरूप - भीतर का व्यक्ति नजर आने लगता है । जैसा आप पाएंगे, अपेक्षा एक प्रबल शक्ति हैं और यह जीवन में बहुत बड़ी भूमिका निभाती है ।
जिंदगी का कायाकल्प करने वाली अन्य तकनीकों की तरह ही मानसिक तस्वीर देखने की तकनीक भी सीखी जा सकती है। जब हम मानसिक दृष्टि से भविष्य को "देखते" हैं, तो इसका हमारे जीवन पर जबरदस्त असर पड़ता है ।
आश्चर्य का एहसास
दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं - चुंबकीय और अचुंबकीय। बहरहाल हमें यह याद रखना चाहिए कि शुरुआत में हम सभी चुंबकीय होते हैं । चुंबकीय लोगों के पास सकारात्मक अपेक्षा की शक्ति होती है । वह दरअसल अपनी आस्था और विश्वास से सफलता, खुशी और अपने लक्ष्यों की उपलब्धि को आकर्षित करते हैं । लेकिन अगर वह चुंबकीयता का इस्तेमाल नहीं करेंगे तो यह खत्म हो जाएगी ।
अचुंबकीय लोग इन अच्छी चीजों को अपनी ओर आकर्षित नही करते हैं।
यकीन करें कि आप कर सकते हैं
खुद को चुनौती दे कि आप अपने विश्वास के स्तर को बढ़ाकर विकास करेंगे । कागज - कलम उठाएं और कम से कम ऐसे 10 वाक्य लिखें, "मुझे विश्वास है कि मैं कर सकता हूं" मिसाल के तौर पर, आप लिख सकते हैं , "मुझे विश्वास है कि मैं ऐसी कविता लिख सकता हूं, जो छप सकती हो।"
विश्वास ही वह ईंधन है, जिसकी बदौलत आप उड़ते हैं।
6. छठवां घंटा - नजरिए का बड़ा परिवर्तन
आप भी अपने जीवन के दृष्टिकोण के बारे में खुद से सही सवाल पूछ सकते हैं - किस चीज को बदलना है और कितना बदलना है ।
कुछ लोग हमेशा नकारात्मक भविष्यवाणी करते रहते हैं यह उनके जीवन का सामान्य दृष्टिकोण है यह उनके नजरिए और व्यक्तित्व का प्रमुख हिस्सा होता है यह कहा जा सकता है कि आशावादी और निराशावादी दोनों को ही अपने सपने सच होने की अपेक्षा होती है।
हमारे नजरियों का स्रोत
हम चाहते हैं कि इस घंटे में आप अपने नजरिए की जांच पड़ताल करें।
हम नजरिए के स्रोत की जांच से शुरू करते हैं । इसके तीन प्रमुख उद्गम है : संस्कृती, परिवार और व्यक्तिगत अनुभव ।
हमारा भीतरी जगत ही यह तय करता है कि हम बाहरी जगत का कैसा अनुभव करते हैं । हम दुनिया को उस तरह नहीं देखते जैसी कि वह सचमुच है। हम तो दुनिया को उस तरह देखते हैं जैसी हम इसे अनुभूत करते है ।
आपका मूलभूत स्वभाव
आपका बुनियादी स्वभाव चाहे जो हो , आप अपना नजरिया बदल सकते है।
अगर आप का बॉस आप को बुलाता है, तो आप सोचने लगते हैं, "मैने क्या गलती कर दी ? " बजाए यह सोचने के , " ईश्वर का शुक्र है कि मेरी तनख्वाह बढ़ने वाली है।"
कृतज्ञता का जकारिया
व्यक्तिगत परिवर्तन और कायाकल्प की प्रक्रिया का एक ऐसा हिस्सा है ,जहां हमें निरंतर परिणाम दिख सकते हैं । यह दूसरों के अच्छे कर्मों के बारे में आभार की अभिव्यक्ति है । इसे कृतज्ञता का नजरिया कहा जाता है।
परिवर्तन की कुंजी
आप पूछ सकते हैं, "मैं कहां से शुरू करूं ? "आज ही अपने आसपास के लोगों की प्रशंसा करके शुरू करें । आगे बढ़े और रेस्तरां वेटर ,डाक विभाग के क्लर्क ,अपने किसी सहकर्मी को प्रोत्साहित करने वाली कोई बात कहें ।
जब कोई पूछे, "आपके हिसाब से क्या होगा ?" तो अपनी प्रतिक्रिया का मूल्यांकन करने के लिए एक पल लें और सकारात्मक शब्दों से जवाब दें ।
7. सातवां घंटा - अपनी नई टीम चुनें
जीवन के पर्वत पर चढ़ते समय हर दिन हम अपने खुद के माउंट एवरेस्ट का सामना करते हैं । हमारी प्रगति उन लोगों की मदद से काफी ज्यादा हो सकती है जिन्हें हम यात्रा में अपने साथ रखने का चुनाव करते हैं ।
आप की बुनियादी टीम
खुद से यह सवाल पूछे "मेरे जीवन में 5 सबसे प्रभावशाली व्यक्ति कौन है ?" फिर हर व्यक्ति के बारे में सोचते समय अपने कल्याण में उसके योगदान का वास्तविक मूल्यांकन करें। अगर आप की सूची के 5 में से चार लोग सकारात्मक, उत्साही और उत्साहवर्धक हैं, तो आप बहुत सौभाग्यशाली हैं। अगर मामला उल्टा है, तो आप संकट में हैं और आपको तत्काल कदम उठाना चाहिए ।
एक मत की शक्ति
अकेले कोशिश करने से शायद ही कभी सफलता मिलती है। बिजनेस की दुनिया में यह बार-बार साबित हुआ है कि कंपनी को आगे बढ़ाने वाले सबसे सशक्त निर्णय जिद्दी और निरंकुश प्रेसिडेंट के नहीं होते हैं । वह निर्णय तो समाधान खोजने के लिए कर्मचारी और मैनेजमेंट दोनों मिल कर लेते हैं ।
सभी स्तरों पर सफलता
जब आप दूसरे लोगों के साथ अपनी शक्तियां जोड़ देते हैं ,तो कुछ असाधारण हो जाता है । आपको जो काम अकेले करना असंभव लग रहा था, जब पूरे समूह का लक्ष्य बन जाने पर वह अचानक आसान बन जाता है । प्रोत्साहन में गजब की शक्ति होती है । यह जीवन के सभी स्तरों पर काम करता है - लक्ष्यों तक पहुंचने में, बिजनेस बनाने में, दोस्त बनाने में और अराजकता के बीच सुव्यवस्था स्थापित करने में ।
8. आठवां घंटा - बिना टूटे झुकना
अगर आपकी प्रतिक्रियाएं कठोर हैं, तो आपको बेहतर तरीके की जरूरत है । इस घंटे में यह नीति जान लें। दूसरी ओर, अगर आप मुश्किल स्थितियों में लचीले रहते हैं और अनुकूलन सील बनने की कला में माहिर है, तो आप सही काम कर रहे हैं। बहरहाल, इस अध्याय में लचीले व्यक्ति भी जीवन के तूफानों पर सवारी करने की अपनी योग्यता को ज्यादा निखार सकते हैं और उससे अपने पक्ष में काम करवाना भी सीख सकते हैं ।
अनुकूलनशीलता
मुश्किल स्थितियों के अनुसार फ़ौरन ढल जाने की योग्यता विकसित करना बहुत फायदेमंद हो सकता है । जो लोग अपने पेसे में शिखर पर पहुंचते हैं, वह आमतौर पर लोकव्यवहार में असाधारण रूप से माहिर होते हैं। उनकी योग्यताओं की सूची में मिलनसारिता और अनुकूलनशीलता का स्थान काफी ऊपर होता है ।
लोगो को आकर्षित करने की कला
प्रभावी लीडर बनने के लिए समान योग्यताओं की ही जरूरत होती है। चाहे यह बिजनेस में हो, स्कूल में हो,सामाजिक क्लब में हो ,चर्च में हो या परिवार में ही क्यों न हो । आपके विचार लोगों को जीतने इससे पहले आपको लोगों को जीतना होगा ।
दोस्त बनाने और लोगों को प्रभावित करने का रहस्य है, सच्चाई का सोता या निरंकुश तानाशाह बनने से बचना। इसके बजाय यह दिखाएं कि आप लचीले और जमीन से जुड़े व्यक्ति हैं, जिसकी दूसरों में सच्ची दिलचस्पी है ।
वे जहां पर है, वही से शुरू करें
एक उदाहरण देखें कि इस सिद्धांत का इस्तेमाल एक पिता ने अपने बेटे के साथ किस तरह किया। एक रात 9:00 बजे पिता ने अपने 4 साल के बेटे से कहा "मैं चाहता हूं कि तुम सोने जाने से पहले अपने खिलौने जगह पर रख दो।" लेकिन इससे काम नहीं बना ।
बच्चे का बहाना था, "मैं बहुत थक चुका हूं।"
तानाशाह बनने के बजाय डैडी फर्श पर बैठ गए, उन्होंने बेटे को अपने घुटनों पर बैठाकर उठाया और कहा, "हंप्टी डंप्टी सैट ऑन अ वॉल । हम्प़टी डंपटी हैड अ ग्रेट फॉल।" और बच्चा गिर गया ।
चलिए दोबारा करते हैं, डैडी। "
उन्होंने यह बार-बार किया।
जब डैडी इस खेल को खत्म करने वाले थे, तो छोटे बच्चे ने कहा, "बस एक बार और ।"
"तब तक नहीं, जब तक कि तुम अपने खिलौने जगह पर नहीं रख देते।" बिना सोचे विचारे बच्चे ने डेढ़ मिनट में वह काम कर दिया, जिसमें उसे एक घंटा लग सकता था ।
जब वह दोबारा अपने पिता के घुटनों पर उछलकर चढ़ा, तो पिता बोले, "तुम तो इतने ज्यादा थके थे कि खिलौने नहीं उठा सकते थे ?"
"मैं थका तो था, " बेटे ने कहा । "लेकिन मैं बस यह मजेदार काम करना चाहता था।"
सबसे महत्वपूर्ण शब्द है "हम"
जब लोग आपके सुझाव और आदेशों का पालन न करें, तो क्रोध में कठोर नीति ना अपनाएं । इसके बजाय लचीले बने । सकारात्मक और रचनात्मक नीति को आजमाकर देखें । परिणाम देखकर आप हैरान रह जाएंगे ।
अंग्रेजी भाषा के 6 सबसे महत्वपूर्ण शब्द है : "मैं अपनी गलती स्वीकार करता हूं।"
पांच सबसे महत्वपूर्ण शब्द : "आपने बेहतरीन काम किया है।"
चार सबसे महत्वपूर्ण शब्द : "आपकी राय क्या है।"
तीन सबसे महत्वपूर्ण शब्द : "अगर आप चाहें"
दो सबसे महत्वपूर्ण शब्द : "आपको धन्यवाद"
एक सबसे महत्वपूर्ण शब्द : "हम"
सबसे कम महत्वपूर्ण शब्द : "मैं"
9. नवा घंटा - हानिकारक डर को अलविदा कहें
क्या चिंता और दुख में लगातार जीने वाले व्यक्ति का कायाकल्प हो सकता है ? क्या डर या फोबिया से त्रस्त व्यक्ति पूरा चयन और सुरक्षा पा सकता है ? बिल्कुल । यह लाखों लोगों के साथ हो चुका है ।
एक नया दृष्टिकोण
यदि आप अपनी समस्याओं के बारे में पुराने तरीके से ही सोचते रहेंगे, तो आप एक गड्ढा खोद रहे हैं, जो 1 दिन इतना गहरा हो जाएगा कि आप बच नहीं पाएंगे । फावड़ा लेकर मिट्टी हटाने के बजाय नई जगहों पर जवाब तलाशे। "क्या हो अगर?" समाधान की तलाश करने से आपको इतनी ज्यादा मानसिक शक्ति हासिल होगी कि आप हैरान रह जाएंगे ।
जोखिम लें !
यह स्वीकार करने में कुछ गलत नहीं है कि आप किसी नई स्थिति से डरते हैं । अगर आपको डर नहीं लगता, तो यह स्वाभाविक बात है । दरअसल डर को स्वीकार करने के बाद ही आप उसे नियंत्रित कर सकते हैं ।
भविष्य के डर को दूर करने का सबसे अच्छा तरीका क्या है ? उसकी जगह वर्तमान की चिंता करें दूसरे शब्दों में : जोखिम ले !
डर की जगह आस्था रखें
डर - डरकर समाधान का इंतजार क्यों करें ? जो आप कर सकते हैं, करें और फिर परिणाम से खुद को अलग हटा लें । ईश्वर और उसके वादों पर भरोसा रखें । आस्था रखें । चैन से रहें । बीज बोने के बाद आप उसे बार-बार खोद कर देखते नहीं है । उसे जड़ पकड़ने दें और विकसित होने दें ।
10. दसवां घंटा - छोड़कर जितना
"मैं अपनी यह आदत कैसे छोडूं ?" लाखों लोग हर दिन इसी सवाल से जूझते हैं ।
छोटी - मोटी बुरी आदतों के बारे में क्या कहा जाए ? आपकी प्रतिक्रिया क्या होती है, जब आप लोगों को नाखून चबाते, सिर खुजाते, उंगलियां चटकाते, या 1 मिनट में 5 बार "आप जानते हैं" कहते देखते हैं ? ये भी व्यवहार संबंधी आदते हैं और अगर इन्हें नियंत्रित न किया जाए, तो ये जिंदगी में बड़ी रुकावटें खड़ी कर सकती हैं । जैसा होरेस मैन ने लिखा था, "आदत एक रस्सी है; हम हर दिन इसका एक धागा बुनते हैं, और आखिरकार यह इतनी मजबूत बन जाती हैं कि हम इसे तोड़ नहीं पाते।"
पुरानी आदतों को तोड़ना
सभी व्यक्तिगत आदतें नकारात्मक नहीं होती। जो इंसान कहता है, "अगर मैं अपनी सारी आदतें छोड़ सकता, तो मैं सफल हो जाता!" उसे यह एहसास ही नहीं है कि आदतें हमारे दैनिक जीवन के लिए अनिवार्य है । उनके बिना हम कहीं के नहीं रहेंगे।
यह जरूरी नहीं की लत को छोड़ना लंबी, दर्द भरी प्रक्रिया हो। बहुत से लोगों ने तो एक ही पल में स्थाई रूप से अपनी लत को छोड़ दिया है क्योंकि उन्होंने महंगे उपचारों या बरसों तक परामर्श लेने के बजाय विकास करने की व्यक्तिगत इच्छा से एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया । उन्होंने अपनी दिनचर्या में एक नई फायदेमंद लत डाल ली जो सकारात्मक है।
अच्छी आदतें सफलता दिला सकती हैं
एक युवक ने एनसाइक्लोपीडिया बेचकर कॉलेज की पढ़ाई के पैसे जुटाए । कामयाबी के लिए आदत की शक्ति का इस्तेमाल उसने कुछ इस तरह किया ।
उसने बताया, "हर दिन अपॉइंटमेंट तय करने के लिए मैं सौ फोन नंबरों की सूची से काम करता था । जब 12 लोग मुलाकात के लिए हां कर देते थे । तो मैं उनमें से सबसे संभावनाशील लगने वाले 6 लोगों को छांट लेता था । उनमें से तीन मुझे घर के भीतर घुसने देते थे और मैं हर रात औसतन एक प्रोडक्ट बेच लेता था ।"
उससे पूछा गया, "क्या आप बाकी बचे अच्छे प्रोस्पेक्टस को दोबारा फोन करते थे ?"
उसने कहा, "ओह नहीं ! अगले दिन मैं दोबारा सौ नए नंबरों की सूची से शुरू करता था और उसी तरीके से काम करता था।" उसने संभावनाओं पर काम किया और हर दिन लगातार किया । अच्छी दैनिक आदतें सफलता दिला सकती है ।
"निर्णय" की आदत
आप जो आदतें छोड़ना चाहते हैं, उन पर स्पॉटलाइट की रोशनी ना डालें। इसके बजाय उन आदतों की सूची बनाएं, जिन्हें आप अपनाना चाहते हों । इसे एक उदाहरण से समझते हैं ।
फ़ौरन निर्णय लेने की आदत डालने का संकल्प करें । शायद आप ऐसे कुछ लोगों को जानते होंगे, जिन्हें आप इस वजह से खुशकिस्मत मानते होंगे क्योंकि वह पल झपकते ही हर चीज का फैसला कर सकते हैं - और उनके फैसले आमतौर पर सही होते हैं ।
11. ग्यारहवां घंटा - अपनी भावनाओं पर काबू रखें
चाहे हम इस बात को पसंद करें या ना करें, भावनाएं हमारे जीवन का अभिन्न अंग है । हम उन से नहीं बच सकते। इच्छा, क्रोध, डर, साहस, ईर्ष्या, सहानुभूति, अफसोस, नफरत, प्रेम और खुशी जैसी भावनाएं सिर्फ ऑस्कर विजेता अभिनेताओं, बच्चों और टीवी कलाकारों के लिए ही सुरक्षित नहीं है । हम सभी इनका अनुभव करते हैं ।
हमारी बुनियादी आवश्यकताएं
मशहूर मनोवैज्ञानिक अब्राहम मस्लो के अनुसार हमारा व्यवहार दरअसल "पांच बुनियादी आवश्यकताओं" की प्रतिक्रिया है । उन्होंने इन आवश्यकताओं को निचले क्रम से उच्चतर क्रम में व्यवस्थित किया है।
१. शारीरिक आवश्यकताएं - भोजन, पानी, हवा
२. सुरक्षा की आवश्यकताएं - खतरे के भय से स्वतंत्रता, परिचित और सुरक्षित के आस - पास रहने की जरूरत
३. "जड़ों का एहसास" और प्रेम की आवश्यकताएं - संबंध, जुड़ाव, स्वीकृति
४. सम्मान की आवश्यकताएं - उपलब्धि, शक्ति, प्रतिस्पर्धा, प्रतिष्ठा, ओहदा, मान - सम्मान
५. आत्म वास्तविकीकरण की आवश्यकता - आत्म-संतुष्ट, संभावनाओं की पूर्णता
ज्यादातर लोग पहले और दूसरे पायदान को पार कर लेते हैं लेकिन पांचवें पायदान तक कभी नहीं पहुंच पाते । वे तीसरे और चौथे पायदान में ही उलझ कर रह जाते हैं ।
12. बारहवां घंटा - अपने डाटा बैंक में क्रांति लाएं
सफल लीडर वे हैं, जिनका डाटा बैंक हमेशा बढ़ता रहता है । उनके मस्तिष्क विशाल कंप्यूटर की तरह होते हैं, जिनमें सामग्री भरने के लिए नई मेमोरी चिप लगती रहती है । उनके लिए नए विचार और नई जानकारियां उतनी ही महत्वपूर्ण है, जितनी कि सांस लेने के लिए हवा ।
यहां पर तीन सुझाव दिए जा रहे हैं :
1. हर दिन कुछ मिनट ऐसे विषय को टटोलें, जो आपके लिए बिल्कुल नया हो ।
2. नई और नवाचारी जानकारी पाने के लिए सवाल पूछें।
3. हर दिन कम से कम सेल्फ - हेल्प पुस्तके व प्रेरक सामग्री पड़े या सुनें ।
सामान्य से हटकर
अपनी जीवन शैली में विविधता और नई चीजें जोड़ना रोमांचकारी होता है । इसका एक अतिरिक्त फायदा यह है कि आपको नई जानकारी और नए अनुभव मिलेंगे । सही समय पर इस जानकारी या अनुभव के विस्तृत विवरण याद करने की अपनी योग्यता पर आप हैरान रह जाएंगे ।
जानकारी के ओवरलोड की चिंता ना करें । आजीवन सीखने का आपका उद्देश्य ज्ञान हासिल करना होना चाहिए, चाहे वह कहीं भी मिले । आप जब अगली बार लाइब्रेरी जाएं, तो ऐसी पुस्तकें पढ़ने की कोशिश करें, जिन्हें पढ़ने के बारे में आपने पहले कभी न सोचा हो ।
सुनने का संकल्प करें
पक्के इरादे के साथ सुनने की आदत विकसित करना महत्वपूर्ण है । इसे करने का सबसे अच्छा तरीका है, बहुत सारे सवाल पूछना । और फिर जवाबों को गौर से सुनना ।
आशावाद का माहौल
यह भी बहुत महत्वपूर्ण है कि आप सीखे हुए सिद्धांत पर तत्काल अमल करने का फैसला करें । सिद्धांतों पर अमल करने से ही वे सक्रिय होंगे और आपके व्यवहार का स्थाई हिस्सा बन सकेंगे ।
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